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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 18



क्या बाते चल  रही  है  पिताजी? अंजली  ने पूछा 

"कुछ  नहीं बेटा बस  अम्मा से पूछ  रहा  हूँ कहा  से शुरू  करू तेरी शादी  की तैयारिया। जेवर तो दे आया  हूँ बनने  वो दो हफ्ते में मिल जाएगा।" दुर्जन ने कहा  

अंजली  शरमा  कर अंदर  चली  जाती है  अपनी शादी  की बात सुनकर 

"शरमा  गयी  पगली  " दुर्जन कहता  है


" अच्छा अम्मा तू ने बताया  नहीं की पहले  क्या करू " दुर्जन ने दोबारा अम्मा से पूछा


"बेटा सबसे  पहले  तू  अंजली  के होने वाले ससुर  को संदेसा  भेज  की वो कितने लोग लाएंगे बारात में उसके बाद देख  गांव वालो को भोजन  भी कराना जरूरी  है। उसके बाद हलवाई  को बुला और बता  उसे " अम्मा ने कहा

"अम्मा अभी  शाम हो गयी  है सवेरे  देखता  हूँ।" दुर्जन कहता  है 

सब  खाना खा कर सौ जाते है । अंजली  अमित से मैसेज  पर  बाते करती  और कहती  सुबह पिताजी आपको  फ़ोन  करेंगे  कुछ  काम है  ज़रूरी । इसी तरह  दोनों बाते करते  और सौ जाते

अगली सुबह  दुर्जन अमित को फ़ोन  लगाता  और उसके पिता से बात करता

"राम, राम समधी  जी सब  उधर  कैसे है " दुर्जन ने पूछा

" राम राम इधर  सब  ठीक  है  बस  शादी  की तैयारी चल  रही  है  " अमित के पिता ने कहा

"समधी  जी मुझे  कुछ  पूछना  था  आपसे  क्या आप  बता  सकते  है  की बारात में कितने लोग आ  रहे  है ।" दुर्जन ने पूछा 

" समधी  जी आप  परेशान  नहीं हो हम  सिर्फ घर के लोग होंगे और कुछ रिश्तेदार कुल मिलाकर  सौ या एक सौ पचास  लोग हो जाएंगे " अमित के पिता ने कहा।

" ठीक  है  समधी  जी घर पर सब को मेरा प्रणाम देना " दुर्जन ने फ़ोन रखते  हुए  कहा 


"माँ अंजली के ससुराल  वाले बहुत  अच्छे है  कह  रहे है कम लोग लाएंगे आपको  परेशान  करना  नहीं चाहते । कहा  मिलते है  ऐसे लोग अम्मा " दुर्जन ने अम्मा से कहा।


उसके बाद दुर्जन ने हलवाई  को खाना  बनाने  के पैसे दिए  और इस तरह  धीरे  धीरे  वो पैसा शादी  के कामों में लगाता  रहा ।

धीरे  धीरे  शादी  के दिन भी  नजदीक  आने  लगे । दुर्जन रोज़ रात को रोता और सोचता  कि वो अपनी बेटी के बिना कैसे रह  पायेगा। इसी सोच  विचार  में उसकी राते कटती ।

फिर  एक शाम  दुर्जन को घर  आने  में देर हो गयी  अंजली  और उसकी दादी परेशान  थी । देखते  देखते  दादी तो सौ गयी किन्तु अंजली  अपने पिता का इंतज़ार  करती  रही ।

थोड़ी  देर बाद दरवाज़े  पर  दस्तक  होती है ।" पिताजी आप  कहा  चले  गए  थे  कितनी रात हो गयी , दादी भी  आपका  इंतज़ार  करते  करते सौ गयी । " अंजली  ने कहा 


" बेटा तुमने खाना खाया  या भूखी बैठी  मेरा इंतज़ार  कर  रही  है । अब मेरा इंतज़ार  मत  करा  कर  क्यूंकि अब तू  चंद रोज़ कि मेहमान है उसके बाद तो मुझे  अकेले ही रहना  है  इसलिए  अभी  से आदत  डाल रहा  हूँ " दुर्जन ने कहा 

" मुझे  आपका  इंतज़ार  करना  अच्छा लगता  है । चलये  खाना  खाते  है  दादी तो बिना खाये  ही सौ गयी  अब उठे गी भी  नहीं, चलये  हम  दोनों ही खाते है  " अंजली  ने कहा  और रसोई  से खाना  लाने चली  जाती है 

दोनों खाना  खाते  उसके बाद अंजली  अपने कमरे  में चली  जाती और दुर्जन अम्मा के पास  सौ जाता

अंजली  के पास  अमित का मैसेज  आया  था  वो उससे मैसेज  पर  बात करती  और देखते  देखते  दोनों सौ जाते।

इसी तरह  दिन आगे  बढ़ते  और आखिर में अंजली  कि हल्दी का दिन आ  जाता है ।


अमित बहुत  खुश  था  उसके घर  में भी शादी  शहनाई  बज रही  थी । उसके घर  वाले उसे हल्दी लगा  रहे  थे ।


अंजली  का घर  भी  सज  रहा  था, दुर्जन अंदर  ही अंदर  उदास था  लेकिन वो चेहरे  पर  हलकी  सी मुस्कान लिए  हुए  था  ताकि कोइ भी  उसके दिल का हाल जान ना सके ।


हल्दी के समय  आस  पड़ोस  कि लड़किया  अंजली  को परेशान  कर  रही  थी । हल्दी लगा  कर ।

दुर्जन अपनी बेटी के चेहरे  पर  मुस्कान देख  दूर  खड़ा  मुस्कुरा रहा  होता है , तभी  उसकी आँखों  से आंसू छलक आये  अपनी स्वर्गवासी पत्नि को याद कर  अपने आप  से कहता  " आज  अगर  तुम ज़िंदा होती तो देखती  कि हमारी  बेटी कितना खुश  है , कल  को वो दुल्हन बन  जाएगी और तुम्हारा दिया जोड़ा ही पहने  गी। देखना  बिलकुल तुम्हारी तरह  दिखेगी "

तभी  उसकी माँ आवाज़  देती है  " दुर्जन ओ दुर्जन कहा खो  गया 

दुर्जन " कही  नहीं माँ, क्या हुआ "

अम्मा "मैं पूछ  रही  हूँ सुनार के यहाँ से ज़ेवरात ले आया  या अभी  नहीं "


दुर्जन " अम्मा कल  लेकर  आऊंगा  शादी  का घर  है कही  ऊँच नींच  हो गयी  तो अच्छा नहीं होगा "

अम्मा " सही  करा  तूने , लेकिन याद से ले आना  "

"ठीक  है। अम्मा " दुर्जन ने कहा 

अम्मा " अच्छा तूने इसके मामाओ को बुलाया है  या नहीं "

दुर्जन " अम्मा गया  तो था  घर  लेकिन देखों आये  या नहीं कह  तो रहे थे , अपनी बहन  कि आखिरी  निशानी  को विदा करने  आएंगे  "

अम्मा  " ना आये  तो ही अच्छा है , कौन सा इतने सालो में पलट  कर  देखा  अपनी बहन  के मरने के बाद अपनी भांजी  को, अगर  अपने पास  अपनी बेटी बना  कर रख  लेते तो आज  तेरी भी  शादी  नहीं हो गयी  होती "

"क्या अम्मा? तू  फिर  शुरू  हो गयी  जा जाकर  मेहमानों को देख  " दुर्जन ने कहा  और वहा  से चला  गया ।

अंजली  के हाथो  पर  मेहंदी  लग  रही  थी । उसकी सहेलियां मेहंदी  लगाने  वाली से कह  रही  थी  अमित का नाम छिपा  कर  लिखना  ताकि रात भर  नाम ही ढूंढ़ता  रहे ।


अमित के भी  दोस्त उसे घेरे  हुए  थे  और हसीं मज़ाक  कर  रहे  थे । अमित का घर  मेहमानों से भरा  था ।

मंजू  भी  अमित के घर  आ  चुकी  थी , वो अंजली  कि तरफ  जाना चाहती  थी  किन्तु उसकी सास ने मना कर  दिया और कहाँ बारात कि तरफ  से शामिल  होना।

पहला  रिश्ता तुम्हारा अमित से ससुराल  कि तरफ  से है बाद में अंजली  कि तरफ  से इसलिए  तुम बारात के संग जाना बाराती बन कर ।

मंजू  को अब एहसास हुआ शादी  की असल  पाबन्दी का जब  उसकी सास ने उसे अपनी बचपन  की सहेली  की तरफ  से शादी  में शामिल  होने से मना  किया।

अमित अगले दिन का बेसब्री से इंतज़ार  कर रहा  होता है । अंजली  को दुल्हन बना  देखने  के लिए । वो उससे बात करना  चाहता  है  लेकिन उसके दोस्त उसे घेरे  बैठे  थे  जिस वजह  से वो बात नहीं कर  पा रहा  था । और सब  के सौ जाने का इंतज़ार  करने  लगा ।





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8 Comments

Anam ansari

07-Apr-2022 07:36 PM

अच्छा

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Seema Priyadarshini sahay

07-Apr-2022 02:24 PM

बहुत खूबसूरत भाग

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Shnaya

07-Apr-2022 12:20 PM

Very nice👌

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